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एक समय कलीसियाई अनुशासन कलीसिया के जीवन का अभिन्न भाग था, किन्तु धीरे-धीरे कलीसियाओं ने बीसवीं शताब्दी में इसका अभ्यास करना बन्द कर दिया। परन्तु यीशु इसकी आज्ञा देता है। पौलुस ने इसका अभ्यास किया। और कलीसिया इससे लभान्वित हुई है। कलीसियाई अनुशासन का अभ्यास क्यों करें? यह पाप में फँसे व्यक्ति के लिए प्रेंम, सम्पूर्ण कलीसिया के लिए प्रेम, अविश्वासी पड़ोसियों को लिए प्रेम और ख्रीष्ट की महिमा के लिए प्रेम को दर्शाता है।
समान श्रृंखला की पुस्तकें:
भार | 0.56 kg |
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आयाम: | 17.8 × 12.8 × 0.5 cm |
प्रारूप (Format) | |
प्रकाशक (Publisher) | |
आईएसबीएन (ISBN) | 9788195655182 |
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