यह बड़़ी अद्भुत बात है कि मनुष्य का उद्धार एक बालक के जन्म से जुड़़ा हुआ है। कौन है यह बालक, जो वो काम कर सकता है जिसे करने का अधिकार मात्र परमेश्वर के पास है। यह विषय इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर विचार किया जाए।
1. क्रिसमस का ईश्वरीय बालक प्रतिज्ञात का वंश है : “परन्तु जब समय पूरा हुआ तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो स्त्री से उत्पन्न हुआ…” (गलातियों 4:4)।
क्रिसमस परमेश्वर के द्वारा दिए गए एक ऐसे ईश्वरीय बालक के विषय में है, जो कुँवारी मरियम के द्वारा जन्मा। आदि में परमेश्वर ने सब कुछ को अच्छा बनाया, परन्तु पाप के कारण मनुष्य का पतन हुआ और पाप ने इस संसार में प्रवेश किया। तब परमेश्वर ने मानव जाति को दण्ड दिया और साथ ही साथ उसने प्रतिज्ञा भी किया कि स्त्री का वंश पाप, शाप, और मृत्यु को हर लेगा (उत्पत्ति 3:15)। वह स्त्री का वंश यीशु ख्रीष्ट है। वह राजा दाऊद के वंश से आता है (प्रेरित के काम 13:23) जिसे परमेश्वर ने सम्पूर्ण मानव जाति के पापों के दण्ड व शाप से छुटकारे हेतु दे दिया।
2. क्रिसमस का ईश्वरीय बालक सर्वदा का राजा है: “क्योंकि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न होगा, हमें एक पुत्र दिया जाएगा; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी,और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा ”(यशायाह 9:6)।
परमेश्वर के द्वारा दिया गया बालक यीशु ख्रीष्ट केवल एक सामान्य बालक नही है, परन्तु वह दाऊद की सन्तान है (मत्ती 1:1) अर्थात् वह प्रतिज्ञात राजा है, जिसके विषय में परमेश्वर यहोवा ने दाऊद से प्रतिज्ञा की थी कि “मैं तेरी सन्तान को खड़ा करूँगा, और उसके राज्य को स्थिर करूँगा… मैं उसके राज्य के सिंहासन को सदा-सर्वदा के लिए स्थिर करूँगा” (2 शमूएल 7:12-14)। परमेश्वर की वह प्रतिज्ञा अभी तक बनी हुई थी, क्योंकि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा के प्रति विश्वासयोग्य था, उस प्रतिज्ञा को परमेश्वर अपनी योजना के अनुसार यीशु ख्रीष्ट में पूर्ण करता है। यीशु ख्रीष्ट इस संसार में एक बालक के रूप में जन्म लेने और हमारे पापों की क्षमा हेतु बलिदान होने और पुनः जी उठने के पश्चात अब सदा-सर्वदा के लिए सिंहासन पर विराजमान है। वह सब कुछ पर प्रभुता करता है (इब्रानियों 8:1)।
3. क्रिसमस का ईश्वरीय बालक हमारे पापों का प्रायश्चित है: “वह स्वयं हमारे पापों का प्रायश्चित है, और हमारा ही नहीं वरन् समस्त संसार के पापों का भी” (1 यूहन्ना 2:2)।
हम सब अपने पापों और अपराधों में मरे हुए थे, शरीर, शैतान और संसार के चलाए चलते थे और क्रोध की सन्तान थे (इफिसियों 2:1-3)। हम सब परमेश्वर के अनन्त दण्ड व अनन्त प्रकोप के योग्य थे। जिससे बचना असम्भव था। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि “बिना लहू बहाए पापों की क्षमा है ही नहीं” (इब्रानियों 9:22)। इसलिए हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए एक बालक का जन्म हुआ, क्योंकि हमारे पापों की क्षमा हेतु और परमेश्वर के प्रचण्ड प्रकोप से बचाए जाने के लिए लहू बहाया जाना आवश्यक था। क्योंकि अन्य बलिदानों के लहू से पापों का प्रायश्चित व परमेश्वर की कोप-शान्ति स्थायी रुप से असम्भव थी। ऐसी स्थिति में क्रिसमस का ईश्वरीय बालक (यीशु ख्रीष्ट) इस संसार में आ गया। न केवल इतना परन्तु उसने हमारे पापों के बदले कलवरी क्रूस पर अपने लहू को बहा दिया। उसने हमारे स्थान पर पापों के दण्ड के मूल्य को चुका दिया। ख्रीष्ट के लहू के द्वारा, हम भी परमेश्वर की उपस्थिति में लाए गए हैं (इफिसियों 2:13)। वास्तव में वह बालक हमारे पापों का प्रायश्चित है।
4. क्रिसमस का ईश्वरीय बालक जीवनदाता है: “चोर केवल चोरी करने, मार डालने, और नाश करने को आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ” (यूहन्ना 10:10)।
सम्पूर्ण मानव जाति पाप और मृत्यु के प्रभाव में है, ऐसे निराशापूर्ण संसार में सामान्य रूप से लोग यहाँ के जीवन के विषय में सोचते हैं और यहीं की आशा की खोज करते हैं, परन्तु क्रिसमस का ईश्वरीय बालक अनन्त जीवन की आशा को लेकर आया है। क्योंकि परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि “पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट में अनन्त जीवन है” (रोमियों 6:23)। परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु ख्रीष्ट को इसलिए इस संसार में भेजा जिससे कि वह हम जैसे पापी मनुष्यों को मृत्यु के मुँह से निकालकर अनन्त जीवन प्रदान करे। अब जो कोई उस क्रिसमस के ईश्वरीय बालक पर विश्वास करेगा, वह नाश नहीं होगा, परन्तु अनन्त जीवन पाएगा (यूहन्ना 3:16)। वह जीवन क्षण मात्र का नहीं, परन्तु सर्वदा का जीवन होगा। यह जीवन केवल क्रिसमस का ईश्वरीय बालक यीशु ही प्रदान कर सकता है, क्योंकि वह स्वयं कहता है कि “मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ”।
अत: हमारे पाप और अविश्वासयोग्यता के पश्चात भी, परमेश्वर ने अपनी विश्वासयोग्यता को अपने एकलौते पुत्र यीशु ख्रीष्ट में होकर दिखाया है। उसने हम मनुष्यों के उद्धार की योजना को यीशु ख्रीष्ट के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान में पूर्ण किया। इसलिए हम क्यों न अपने विश्वासयोग्य परमेश्वर के प्रति समर्पित और कृतज्ञ होकर उसकी आराधना करें।