“मैं उनके साथ अनन्तकाल की यह वाचा बांधूँगा कि उनकी भलाई करने से कभी न फिरूँगा. . . . . मैं आनन्दपूर्वक उनकी भलाई करूँगा”। (यिर्मयाह 32:40-41)
यह परमेश्वर की उन प्रतिज्ञाओं में से एक है जिन पर मैं उस समय बार-बार ध्यान देता हूँ जब मैं निराश होता हूँ। परमेश्वर आपकी भलाई करने में आनन्दित होता है, क्या आप इससे अधिक प्रोत्साहित करने वाले किसी अन्य तथ्य के विषय में विचार कर सकते हैं? वह केवल आपकी भलाई ही नहीं करता है। और न ही केवल आपकी भलाई करने के प्रति समर्पित है — यद्यपि यह महिमामय बात है। परन्तु उससे बढ़कर यह बात कि वह आपकी भलाई करने में आनन्दित होता है। “मैं आनन्दपूर्वक उनकी भलाई करूँगा”।
वह रोमियों 8:28 की सब बातों में भलाई उत्पन्न करने की प्रतिज्ञा को अधूरे मन से नहीं पूरा करता है। आपकी भलाई करने में उसका आनन्द है। और केवल कभी-कभी ही नहीं। किन्तु सदैव! “मैं उनकी भलाई करने से कभी न फिरूँगा ”। उसके समर्पण में या अपनी सन्तानोंं की भलाई करने के आनन्द में कोई कमी नहीं है — उन लोगों के लिए जो उस पर भरोसा करते हैं।
इस बात के द्वारा हमें अत्यन्त हर्षित होना चाहिए।
किन्तु कभी-कभी हर्षित होना कठिन होता है। कई बार हमारी परिस्थिति को सहन करना इतना कठिन होता है कि हम थोड़ा सा भी आनन्द नहींं जुटा पाते हैं। जब मेरे साथ ऐसा होता है, तो मैं अब्राहम का अनुसरण करने का प्रयास करता हूँ: “उसने निराशा में भी आशा रख कर विश्वास किया” (रोमियों 4:18)। दूसरी रीति से कहें, तो आप उस आशाहीन परिस्थिति से सीधे-सीधे बात करते हैं और कहते हैं कि “तू उतना सामर्थी नहीं है जितना सामर्थी परमेश्वर है। वह असम्भव बात को भी पूरा कर सकता है। और मैं जानता हूँ कि उन लोगों के लिए ऐसा करना उसको प्रिय लगता है जो उस पर भरोसा करते हैं। इसलिए, आशाहीनता, तेरे पास कहने के लिए कोई अन्तिम बात नहीं होगी। क्योंकि मैं परमेश्वर पर भरोसा रखता हूँ”।
परमेश्वर सदैव मेरे विश्वास की उस छोटी सी चिंगारी की सुरक्षा के लिए और अन्तत: (सदैव तुरन्त ही नहीं) इसे आनन्द और पूर्ण भरोसे की आग के रूप में प्रज्जवलित करने के प्रति विश्वासयोग्य रहा है। और यिर्मयाह 32:41 उसी आनन्द का एक बड़ा भाग है।
ओह, इस बात से मैं कितना हर्षित हूँ कि जो बात सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हृदय को प्रसन्न करती है उसमें आपकी और मेरी भलाई करना सम्मिलित है! “मैं आनन्दपूर्वक उनकी भलाई करूँगा”।