शारीरिक वासनाओं से दूर रहो जो आत्मा के विरुद्ध युद्ध करती हैं। (1 पतरस 2:11)
जब मैंने व्यभिचार के पाप में जीवन जी रहे एक व्यक्ति को चिताया, तो मैंने उसकी स्थिति को समझने का प्रयास किया, और मैंने उससे निवेदन किया कि तुम अपनी पत्नी के पास लौट जाओ। तब मैंने कहा, “तुम्हें पता है, यीशु कहता है कि यदि तुम इस पाप से उस गम्भीरता से नहीं लड़ते हो जो स्वयं अपनी आँख तक निकालने को तैयार हो, तो तुम नरक जाओगे और वहाँ सदा के लिए पीड़ा उठाओगे।”
एक ख्रीष्टीय होने का दावा करने वाले के समान उसने मुझे अत्यन्त अविश्वास से देखा, मानो कि उसने अपने जीवन में ऐसा कुछ कभी सुना ही नहीं था, और उसने कहा, “आप यह कहना चाहते हैं कि आपके विचार से एक व्यक्ति अपना उद्धार खो सकता है?”
इसलिए मैंने अपने स्वयं के अनुभवों से बार-बार सीखा है कि ऐसे बहुत से लोग जो ख्रीष्टीय होने का दावा करते हैं, उनके पास उद्धार का ऐसा दृष्टिकोण है जो उनके वास्तविक जीवन से पृथक है, और जो बाइबल की चेतावनियों को अमान्य ठहराता है, और जो पाप में जीवन व्यतीत कर रहे व्यक्ति को जो ख्रीष्टीय होने का दावा करता है, उसे बाइबलीय चेतावनियों से परे कर देता है। मेरा मानना है कि ख्रीष्टीय जीवन का यह दृष्टिकोण उन हजारों लोगों को सान्त्वना दे रहा है जो विनाश की ओर ले जाने वाले चौड़े मार्ग पर हैं (मत्ती 7:13)।
यीशु ने कहा, यदि तुम वासना से नहीं लड़ोगे तो तुम स्वर्ग नहीं जाओगे। “यदि तेरी दाहिनी आँख तुझसे पाप करवाए तो उसे निकालकर दूर फेंक दे, क्योंकि तेरे लिए यही उत्तम है कि तेरे अंगों में से एक नाश हो इसकी अपेक्षा कि तेरा सारा शरीर नरक में डाला जाए” (मत्ती 5:29)। मुख्य बात यह नहीं है कि सच्चे ख्रीष्टीय जीवन के हर संघर्ष में विजयी होंगे। मुख्य बात यह है कि हम लड़ने का संकल्प लेते हैं, यह नहीं है कि हम पूर्ण रीति से सफल होते हैं। हम पाप के साथ मेल नहीं कर लेते हैं। हम इसके साथ युद्ध करते हैं।
क्योंकि जो बात दाँव पर लगी हुई है वो संसार का हजारों मिसाइलों से ध्वस्त किए जाने, या आतंकवादियों का आपके नगर पर बमबारी करने, या विश्वव्यापी तापक्रम वृद्धि से बर्फ की परतें पिघल जाने, या एड्स का राष्ट्रों को मिटा देने, से कहीं बढ़कर है। ये सभी विपत्तियाँ तो केवल शरीर को मार सकती हैं। परन्तु यदि हम वासना से नहीं लड़ेंगे, तो हम अपने प्राणों को खो देंगे। वह भी सदा के लिए।
पतरस कहता है कि शारीरिक वासनाएँ हमारे प्राणों के विरुद्ध युद्ध करती हैं (1 पतरस 2:11)। इस युद्ध में जो दाँव पर लगा है वह किसी भी विश्व युद्ध या आतंकवादी आक्रमण से कहीं अधिक है। प्रेरित पौलुस ने “व्यभिचार, अशुद्धता, वासना, बुरी लालसा और लोभ” की सूची दी और फिर कहा, “इन्हीं के कारण परमेश्वर का प्रकोप आएगा” (कुलुस्सियों 3:5-6)। और परमेश्वर का प्रकोप तो अतुलनीय रूप से इस संसार के सब राष्ट्रों के प्रकोप के योग से भी कहीं अधिक भयानक है।
परमेश्वर हमें अनुग्रह प्रदान करे कि हम स्वयं को और दूसरों के प्राणों को गम्भीरतापूर्वक ले सकें और लड़ाई में बने रहें।