सताव कलीसिया की उन्नत्ति में एक ईंधन का कार्य करता है। इसीलिए टर्टुलियन ने दूसरी शताब्दी ईस्वी में कहा था कि “शहीदों का रक्त (खून) कलीसिया का बीज है”। यह एक ऐसा कथन है जो एक ऐसे विचार को समाहित किए हुए है। जो ख्रीष्टीय लोग अपने विश्वास के लिए मर गए हैं उनके बलिदानों ने ख्रीष्टीयता की वृद्धि व उन्नत्ति में और प्रसार में योगदान दिया है। जब ख्रीष्टियों को सताया जाता है, उनका खून बहाया जाता है, तो उनकी गवाही और बलिदान दूसरों को उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
आरम्भिक ख्रीष्टीय शहीदों में सबसे प्रसिद्ध शहीद स्तिफनुस है, जिसे पहली शताब्दी ईस्वी में यरूशलेम में सुसमाचार प्रचार करने के कारण यहूदियों के द्वारा पत्थरों से पथरवाह करके मार डाला गया था जिसका विवरण हम प्रेरितों के काम 7 अध्याय में पाते हैं। उनकी शहादत (बलिदान) पूरे रोमी साम्राज्य में ख्रीष्टीयता के प्रसार के लिए एक उत्प्रेरक थी। स्तिफनुस और उनके जैसे अन्य शहीदों के उदाहरण ने कई असंख्य लोगों को उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया, और कलीसिया बड़े ही घोर सताव के पश्चात् भी बढ़ती गई।
कलीसिया पर शहादत (बलिदान) के प्रभाव के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक रोम में आरम्भिक ख्रीष्टीय शहीदों की कहानी है। ख्रीष्टीय युग की पहली कुछ शताब्दियों में, रोमी साम्राज्य ख्रीष्टीयता के प्रति शत्रुतापूर्ण था, और ख्रीष्टियों को प्रायः उनके विश्वास के लिए सताया और मार डाला गया था। इस सताव के पश्चात् भी, कलीसिया की उन्नत्ति होती रही और शहीदों के साहस और विश्वास के कारण असंख्य लोग ख्रीष्टीयता की ओर आकर्षित हुए।
“शहीदों का खून कलीसिया का बीज है” यह वाक्याँश आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि अनेकों देश में ख्रीष्टीय लोग अपने विश्वास के लिए सताव और हिंसा का सामना कर रहे हैं। चाहे वह भारत, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, चीन आदि देश हों। अनेक देशों में ख्रीष्टीय लोग प्रायः अपने विश्वास के लिए सताव, बन्दीगृह में हैं और यहाँ तक कि उनमें से बहुत लोग मौत के घाट उतार दिए गए हैं। अनेक सताव के पश्चात् भी, कलीसिया निरन्तर बढ़ती जा रही है, और बहुत से लोग उन लोगों के साहस और विश्वास के कारण ख्रीष्टीयता की ओर आकर्षित होते हैं।
अतः “शहीदों का खून कलीसिया का बीज है।” ख्रीष्ट में हमारे प्रिय भाइयो एवं बहनो, सताव के मध्य में प्रभु में बने रहिए। अपनी दृष्टि को हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ख्रीष्ट की ओर निरन्तर लगाइए रहिए। प्रभु की एक बात स्मरण रखिए कि “अधोलोक के दरवाजे कलीसिया पर कभी प्रबल नहीं होने पाएँगे।” हमारा प्रभु सताव के मध्य में कलीसिया को अभी तक बनाए रखा है और आगे भी कलीसिया को बनाए रखेगा।