हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की स्तुति हो, जिसने यीशु मसीह को मृतकों में से जिला उठाने के द्वारा, अपनी अपार दया के अनुसार, एक जीवित आशा के लिए हमें नया जन्म दिया है (1पतरस 1:3)।
जब आप ‘नया जन्म’ का शब्द सुनते हैं, तब आपके मन में क्या आता है? आपके मस्तिष्क में अनेको विचार घूम रहे होंगे। नये जन्म के विषय में विभिन्न लोगों की विभिन्न विचारधाराएं हो सकती हैं। परन्तु इस लेख में हम संक्षेप में नये जन्म सम्बन्धित बाइबलीय विचारों को संक्षेप में देखें। जो नये जन्म के अर्थ, इसकी आवश्यकता, नये जन्म का स्रोत, तथा बिना नये जन्म के वास्तविक स्थिति पर चर्चा करेगा।
नये जन्म का अर्थ: नया जन्म पूर्ण रीति से परमेश्वर के द्वारा किया गया कार्य है जिसके अन्तर्गत वह पवित्र आत्मा के द्वारा अपने चुने हुए लोगों को आत्मिक जन्म देता है, ताकि वे अपने पापों से पश्चात्ताप करके यीशु पर विश्वास कर सकें। पापों और अपराधों के कारण प्रत्येक मनुष्य आत्मिक रूप से मरा हुआ होता है, और जब वह सुसमाचार सुनता है तो परमेश्वर पवित्र आत्मा उसे आत्मिक रीति से जीवित कर देता है जिसे नया जन्म कहा जाता है। परमेश्वर जैसे ही किसी व्यक्ति को नया जन्म प्रदान करता है वैसे ही वह व्यक्ति अपनी पापमय स्थिति को समझ जाता है। और वह अपने पापों से पश्चात्ताप करके यह विश्वास करता है कि मात्र यीशु ख्रीष्ट ही उसे पापों से बचाकर अनन्त जीवन प्रदान कर सकते हैं। उस व्यक्ति की इस बदली हुई स्थिति को नया जन्म कहते हैं जो शारीरिक जन्म के समान ही एक बार होने वाली घटना है (तीतुस 3:5)। परन्तु प्रश्न यह है कि हमें इस नये जन्म की आवश्यकता क्यों है?
नया जन्म आवश्यक है: परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि हम पाप के साथ माता के गर्भ में पड़े और अधर्म के साथ जन्में हैं (भजन 51:5)। इसीलिए बचपन से ही हमारे मन में जो कुछ उत्पन्न होता है वह पाप ही होता है (उत्पत्ति 8:21)। और यही पाप हममें लालच, हत्या, व्यभिचार, ईर्ष्या, क्रोध, छल आदि उत्पन्न करता है। इसी पाप के कारण हम परमेश्वर तथा उसके ईश्वरीय स्वभाव से दूर हो गए हैं। यद्यपि हम परमेश्वर के स्वरूप और समानता में बनाए गए थे किन्तु हम जन्म से ही पापी होने के कारण परमेश्वर की धार्मिकता और पवित्रता का जीवन जीने में असमर्थ हैं। क्योंकि हमारा शारीरिक मन परमेश्वर से शत्रुता करता है (रोमियों 8:7)। इसीलिए हमें नये जन्म की आवश्यकता है ताकि हम पुराने पापी स्वभाव को छोड़कर आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाएं। क्योंकि जब तक हमारा नया जन्म न हो तब तक न तो हम परमेश्वर को जान पाएंगे और न ही उसके राज्य में प्रवेश कर सकेंगे (यूहन्ना 3:3-5)।
नया जन्म परमेश्वर देता है: यीशु ने नीकुदेमुस से कहा कि जब तक कोई नया जन्म न ले वह परमेश्वर के राज्य को नहीं देख सकता है। इस पर नीकुदेमुस ने यीशु से पूछा कि एक बूढ़ा आदमी कैसे नया जन्म ले सकता है? क्या वह माता के गर्भ में जाकर दूसरी बार जन्म ले सकता है? तब यीशु ने कहा नया जन्म परमेश्वर पवित्र आत्मा के द्वारा होता है (यूहन्ना 3:3-8)। अर्थात, आत्मिक रूप से होने वाला यह नया जन्म हमारे चाहने से नहीं हो सकता है, परन्तु यह पूर्णतः परमेश्वर की इच्छा से होता है (याकूब 1:18)। और इसके लिए परमेश्वर अपने जीवित और अटल वचन को एक साधन के रूप में उपयोग करता है (1 पतरस 1:23)। यह नया जन्म केवल परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। यह हमारे कार्यों का प्रतिफल नहीं परन्तु परमेश्वर का दान है जिससे कि कोई भी व्यक्ति घमण्ड न करे (इफिसियों 2:5-9)।
नये जन्म के बिना हम नाश हो जाएंगे: बिना नये जन्म के हम सब निर्बुद्धि, अनाज्ञाकारी, भ्रम में पड़े हुए तथा विभिन्न प्रकार की वासनाओं और अभिलाषाओं के दास बने रहेंगे, तथा डाह और ईर्ष्या में जीवन व्यतीत करते हुए एक दूसरे से घृणा करेंगे (तीतुस 3:3)। और ऐसा जीवन परमेश्वर की व्यवस्था के विपरीत है, जो हमें अनन्तकाल के लिए परमेश्वर से अलग करता है। इसलिए जो व्यक्ति परमेश्वर रहित जीवन व्यतीत करेगा वह सदा के लिए उस झील में डाल दिया जाएगा जो कभी बुझने की नहीं (प्रकाशितवाक्य 21:8)।
अत: हमें परमेश्वर के पास आने की आवश्यकता है ताकि वह हम पर अनुग्रह करके हमें नया जन्म प्रदान करे। और जब आत्मिक रीति से हमारा नया जन्म होगा तब हम यीशु द्वारा क्रूस पर किए गए उद्धार के कार्य को समझेंगे और अपने पापों से अंगीकार कर ख्रीष्ट को अपना प्रभु स्वीकार करेंगे। यह नया जन्म हमें परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता उत्पन्न करेगा। यह नया जीवन हमें इस योग्य बनाएगा कि हम पापी जीवन को छोड़कर पवित्रता का जीवन व्यतीत करें (1 यूहन्ना 3:9)।